कपिल मुनि तीर्थ

नई दिल्ली। ईश्वर का निवास स्थान कहा जाने वाला हरियाणा ऋषियों की तपस्थली भी है। पुरातन काल में तमाम बड़े संत महात्माओंए ऋषि.मुनियों ने यहां रहकर तप किया है। स्वयं भगवान कृष्ण ने गीता का ज्ञान भी हरियाणा के कुरूक्षेत्र में दिया। सनातन संस्कृति के ओझल देवालयों को प्रचारित करने के प्रयास में जुटी की हमारी टीम जब हरियाणा के कैथल जिले के कौल गांव में पहुंची तो उसने एक ऐसी पावन जगह देखी जहां स्वयं भगवान विष्णु के पंचम अवतार कहे जाने वाले कपिल मुनि ने तपस्या किया था। उस पावन तीर्थ से जुड़ी एक.एक रोचक जानकारी हम आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। कपिल मुनि जी के बारे में भगवद्गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं……”सिद्धों में मैं कपिल हूँ “।

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मंदिर से जुड़े प्रश्न

मंदिर और ध्यान

मंदिर का अर्थ होता है- मन से दूर कोई स्थान। मंदिर में बगैर आचमन क्रिया के नहीं जाना चाहिए। मंदिर में किसी भी प्रकार का वार्तालाप वर्जित माना गया है। मंदिर में कभी भी मूर्ति के ठीक सामने खड़े नहीं होते। मां दुर्गा और हनुमान मंदिर में सिर ढंककर जाते हैं। प्रात:काल से सुबह 11 बजे तक और शाम को 4 बजे के बाद मंदिर जाना चाहिए।

 

हे प्रभु..मेरे मन, वचन, काया से इस जगत के किसी भी जीव को किंचितमात्र भी दुख ना हो!

आत्मा यानी आत्मान, जिसका अर्थ है आंतरिक स्वयं। आत्मा अविनाशी है। इस पर किसी भी प्राकृतिक भाव का असर नहीं होता। आत्मा पर किसी भी प्रकार की चीजें असर नहीं करती। आत्मा का एक ही स्वाभाविक गुण है ईश्वर में विलीन होना। जब तक आत्मा ईश्वर के अपने मुख्य बिंदु तक नहीं पहुंचती, तब तक शरीर बदलता रहता है।

भारत को मंदिरों की भूमि के रूप में जाना जाता है। एक अनुमान के अनुसार देश में 10 लाख से अधिक मंदिर हैं। देश का हर मंदिर पवित्र है जहां आपको शांति और ऊर्जा मिलती है, नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। भारत के हर राज्य में पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिर हैं।

मंदिर का अर्थ होता है मन से दूर कोई स्थान। मंदिर का शाब्दिक अर्थ ‘घर’ है और मंदिर को द्वार भी कहते हैं। मंदिर को आलय भी कहते हैं जैसे कि शिवालय। लेकिन जब हम कहते हैं कि मन से दूर जो है वो मंदिर है, उसके मायने बदल जाते हैं।

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श्री कपिल मुनि तीर्थ

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