प्रभु की आत्मा

आत्मा यानी आत्मान, जिसका अर्थ है आंतरिक स्वयं। आत्मा अविनाशी है। इस पर किसी भी प्राकृतिक भाव का असर नहीं होता। आत्मा पर किसी भी प्रकार की चीजें असर नहीं करती। आत्मा का एक ही स्वाभाविक गुण है ईश्वर में विलीन होना। जब तक आत्मा ईश्वर के अपने मुख्य बिंदु तक नहीं पहुंचती, तब तक शरीर बदलता रहता है।

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